विश्व युद्ध के बारे मैं पांच रोचक तथ्य – 5 interesting facts about world war
- युद्ध छह साल और एक दिन तक चला
- द्वितीय विश्व युद्ध 1 सितंबर 1939 को शुरू हुआ।
- युद्ध तब शुरू हुआ जब जर्मनी ने पोलैंड पर आक्रमण किया।
- द्वितीय विश्व युद्ध 2 सितंबर 1945 को समाप्त हुआ।
- ग्रेट ब्रिटेन ने 3 सितंबर 1939 को जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।
द्वितीय विश्व युद्ध क्यों शुरू हुआ? – why did world war 2 start?
दूसरा विश्व युद्ध कब हुआ? वर्ल्डवॉर 2 इंसानों के इतिहास में सबसे खूंखार युद्ध रहा है।कितने ही बड़े बड़े शहर तहस नहस हो गए पूरी तरीके से लंदन, टोक्यो, हैमबर्ग, बर्लिन आज के दिन ऑलमोस्ट सारे जियो पॉलिटिकल इवेंट्स और इंटरनेशनल रिलेशन्स को ट्रेस बैक किया जा सकता है। इससे एक वार से वर्ल्ड वॉर टू के छोटे मोटे किस्से तो मैंने आपको कई सुनाए है।आइए इसे गहराई से समझते हैं स्टार्टिंग से लेकर एंड तक।एग्ज़ैक्ट्ली क्या हुआ था, क्यों हुआ था और उसका क्या इम्पैक्ट पड़ा? ये हैं वर्ल्ड वॉर टू की पूरी कहानी साल 1919 से ये वो साल में जिस साल वर्ल्ड वॉर वन खत्म हो गयी और एक फेमस पीस ट्रीटी साइन करी गयी जिसे कहा जाता है Treaty Of Versailles. में एक बड़ा इम्पोर्टेन्ट आर्टिकल था 231 जिसमें लिखा गया था कि वर्ल्ड वॉर वन से जितना भी नुकसान हुआ था, उस सारे नुकसान की रिस्पॉन्सिबिलिटी जर्मनी देश की थी।क्योंकि ये बेसिकली कह रहे थे की भाई ये वॉर जिन देशों के बीच में हुई हो गलती सिर्फ और सिर्फ जर्मनी की है असल में फ्रांस और ब्रिटेन चाहते थे कि जर्मनी एक भारी कॉस्ट पे करें इस वॉर को हारने की और वो अपने सारे नुकसान की भरपाई जर्मनी से ही करना चाहते थे।
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नतीजा ये कि Treaty Of Versailles के अकॉर्डिंग जर्मनी को 33 बिलियन डॉलर का फाइन भरने को कहा गया। बाकी और देशो कोआज के पैसों में 270 बिलियन डॉलर्स होता है।
TREATY OF PEACE
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ये इतना सारा पैसा होता है की यकीन नहीं करोगे। साल 2010 में जाके जर्मनी ने आखिरी पेमेंट करी थी। इस पैसे की ऑलमोस्ट 100 साल का समय लग गया और आप सोचोगे ये पैसे आते कहा से है ऑब्वियस्ली देश के जनता से आप इस पैसे की पहली पेमेंट करी जाती है। जर्मनी के द्वारा साल 1921 में तुरंत बाद जर्मनी में भयंकर तरीके से हाइपर इन्फ्लेशन देखने को मिलती है।जर्मनी की करंसी उस वक्त थी। जर्मन मार्क इतनी तेजी से ये डी वैल्यू होती है आप यकीन नहीं करोगे? सन 1922 में बर्लिन में एक ब्रेड के पैकेट की कॉस्ट 160 मार्क्स अगले साल 1923 के पैकेट की कॉस्ट होती है 200 बिलियन मार्क्स ज़ाहिर सी बात है इकॉनमी का सत्यानाश हुआ और अनएम्प्लॉयमेंट बड़ी तेजी से बढ़ने लगी।ऐसे हालातों में हमारी कहानी में एंट्री होती है एडॉल्फ हिटलर की यंग पॉलिटिकल लीडर जो अपने भाषणों के द्वारा जनता को बेवकूफ बनाना बहुत अच्छे से जानता।1923 में हिटलर की नाजी पार्टी जर्मन सरकार की ओवरथ्रो करने की कोशिश करती है। कु कर के हालांकि ये अटेम्प फेल रहता है
Hitler kon tha
![दूसरा विश्व युद्ध कब हुआ?](https://iamcrazyboy.com/wp-content/uploads/2023/12/Screenshot-2023-12-19-124758-1024x537.png)
लेकिन हिटलर की पॉपुलैरिटी लोगों के बीच में और बढ़ जाती है। इसकी वजह से।लोगो के बीच मैं ये अफवाह फैलाई जाती है। जर्मनी को जो इनवेरिसमेंट सहनी पड़ रही है। जर्मनी के जो इंटरनेशनल बेजतीं हुई है। विदेश में रह रहे एंटी नेशनल एलिमेंट्स की वजह से हुई है लोग बहुत परेशान थे, लोगों को बहकाना आसान था। हिटलर कहता है कि जो देश में जूस और सोशलिस्ट लोग रहने लग रहे हैं, गलती इनकी है इनकी वजह से जर्मनी का नाम बदनाम हुआ है अगले 10 सालों में भरपूर तरीके से प्रॉपगैंडा का इस्तेमाल किया जाता है। मीडिया को खरीदा जाता है। भड़काऊ भाषण देखने को मिलते हैं 1929 में ग्रेट डिप्रेशन की देखने को मिलती है, जिसकी वजह से आने इम्प्लॉयमेंट की हालत बद से बदतर हो जाती है। 1933 में 6 मिलियन लोग अनएम्प्लॉयड होते हैं। डेरो लोग बेघर हो गए। बच्चे भूख के कारण मर रहे हैं। नतीजा ये साल 1933 में हिटलर अपने आप को जर्मनी का डिक्टेटर घोषित कर देता है। अपने हाथों फुल कंट्रोल लेने के बाद हिटलर अपने जर्मन साम्राज्य के सपने को पूरा करने निकल पड़ता है। एक जर्मन राइस, एक ऐसा राज्य जो रेशली प्युर होगा। सिर्फ आर्यन रेस के लोग यहाँ पर रहेंगे जूस और स्लाविक लोगों के लिए यहाँ पर कोई जगह नहीं। लोगों के अंदर नफरत घोलने के लिए एक की कॉन्सपिरेसी थ्योरी बनाई जाती है। इस थ्योरी के अकॉर्डिंग जो रशियन रेवोल्यूशन हुई थी सन 1917 में वो एक्चुअली में ज्यूस ने करवाई थी, जिसकी वजह से सोवियत यूनियन की फॉर्मेशन हुई साल 1935 में बाकी दुनिया को पता चलता है कि जर्मनी के पास अपनी एक एयर फोर्स है लेकिन Treaty Of Versailles में एक कंडीशन लिखी गई थी कि जर्मनी के पास अपनी कोई मिलिटरी नहीं हो सकती। एक बड़े ही ओपन तरीके से हिटलर Treaty Of Versailles को वायलेट कर रहा था।लेकिन इस पोर्ट ऑफ टाइम पर ब्रिटेन में कई लोगों को लगता था की जो Treaty Of Versailles में लिखा गया था और जर्मनी के लिए बहुत अनफेयर था हम इतना ज्यादा पैसा उनसे चार्ज कर रहे हैं। देखो उनके देश की हालत क्या हो गयी है इसकी वजह से और फिर ये भी लिखा गया है कि देश की अपनी मिलिट्री भी नहीं हो सकती, इतना नहीं करना चाहिए। अब जून 1935 में ब्रिटेन ऐंग्लो जर्मन नेवल एग्रीमेंट साइन करता है। इसके तहत formally recognised कर लिया जाता है कि हिटलर के पास अधिकार है कि वो अपनी नेवी बना सके, जर्मनी की अपनी खुद की एक नेवी हो सके, लेकिन जर्मनी की बढ़ती मिलिटराइजेशन देखकर फ्रांस चौकन्ना हो जाता है। फ्रांस अपने ईस्टर्न बॉर्डर पर एक 450 किलोमीटर लंबी फोर्टिफिकेशन खड़ी करता है। इसे नाम दिया जाता है दिन मैगी नॉट लाइन सन 1938 हिटलर को जब लगता है कि उसकी मिलिट्री प्रिपेर्ड हो चुकी है। वो अपनी पहली नजर डालता है। बगल के ऑस्ट्रिया देश पर। ऑस्ट्रिया का देश हिटलर के लिए मस्ट हैव देश था। वो चाहता था कि सारे जर्मन स्पीकिंग देश एक ही देश बन कर रहे। असली मकसद यहाँ पर सिर्फ यही नहीं था की और देशों पर कब्जा किया जाए अपनी प्राइड के लिए बल्कि ये भी था कि बाकी देशों के बीच सोर्सेस यूज़ किया जाए।अपने देश को आगे बढ़ाने के लिए जिन लोगों को हिटलर रेसलीय सुपीरियर मानता था
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दूसरा विश्व युद्ध कब हुआ?
अपने आर्यन रेस के लोग उन्हें वो लेबल्स राउंड देना चाहता था, लिविंग स्पेस देना चाहता था ताकि वो लोग खुलकर रह सके। फरवरी 1938 में हिटलर ऑस्ट्रियन चांसलर कर्टशूज़ निक से मिलता है। जबरदस्ती करके एक एग्रीमेंट साइन करवाई जाती है। इस एग्रीमेंट के तहत हिटलर प्रोन्नतरासी लोगों को ऑस्टिन सरकार में जगह देता है। ऑस्ट्रियन सरकार को इन इन्फिल्ड ट्रेड किया जाता है। अपने बंदे अप्पोइंट करके फॉर एग्जाम्पल डॉ हान्स फिस्च्बॉक इन्हें नया फाइनैंस मिनिस्टर बनाया जाना था। ऑस्ट्रिया का एक नार्ज़ी थे और बाकी सारे जेल में रखे गए नार्ज़ी को जेल से रिहा करते एक महीने के अंदर अंदर चीजें आउट ऑफ कंट्रोल चली जाती है। ऑस्ट्रियन चान्सलर को लगता है अगर हमें सही में इनफिल्टरेशन को रोकना होगा।क्यू न जनता से ही पूछ लिया जाए क्या ऑस्ट्रेलिया इंडिपेंडेंट कंट्री रहना चाहता है या फिर नार्ज़ी के साथ मिलकर एक देश हो जाए, एक नेशनल वोट करा जाए, इस चीज़ को लेकर जैसे ही नेशनल वोट की खबर पता चलती है हिटलर को हिटलर तुरंत अपनी आर्मी को ले जाकर मार्च कर देता है। ऑस्ट्रेलिया के अंदर विएना शहर के अंदर जर्मन मिलिटरी घुसती हैं।ऑस्टिन चांसलर कोई खून खराबा नहीं जानते थे। वो अपनी सीट से रिजाइन कर देते हैं। हिटलर अपनी प्रोपगैंडा मिनिस्ट्री के थ्रू फर्जी खबरें फैलाता है। विएना मैं दंगे हो रहे है और कॉम्युनिस्ट लोग इन दंगों के पीछे रिस्पॉन्सिबल है। इसलिए ऑस्ट्रिया की सरकार ने हमारी आर्मी को बुलाया है ताकि हम देश की रक्षा कर सकें। अगले ही दिन ऑस्ट्रियन पार्लियामेंट को डिसॉल्व कर दिया जाता है और ऑस्ट्रिया एक एकडिपेंडेंट कंट्री नहीं रहता। बिना किसी खूनखराबे के ये इन्वेंशन सक्सेसफुल रहता है। इसके पीछे एक बड़ा कारण ये था कि इस वक्त ऑस्ट्रिया में बहुत से ऐसे लोग थे जो हिटलर के तरह थे। क्योंकि वो भी प्रॉपगैंडा का शिकार बने हुए थे तो उन्हें लगता था कि हिटलर का इन्विन्शन एक अच्छी चीज़ है। देश सुपरपॉवर बन जाएगा इस तरीके से ऑस्ट्रिया पर कब्जा जमाने के बाद हिटलर की नजर जाती है। अगले देश पर चेकोस्लोवाकिया के बॉर्डर पर एक रीज़न था sudetenland नाम करके यहाँ जो रहने वाले लोग थे उनमें से करीब 30,00,000 लोग जर्मन से थे हिटलर इस पॉइंट को एक्स्क्यूस यूज़ करता है। यह कहते हुए ये वाला जो रीज़न है ये तो फॉर शुर हमारा होना चाहिए क्योंकि यहाँ पर जर्मनी से रहते हैं यहाँ पर एंट्री होती है। हमारी कहानी में ब्रिटिश प्राइम मिनिस्टर नेविले चेम्बर्लेन की ये किसी भी हालत में एक और वॉर नहीं चाहते थे। इन्हें लगता था की चलो हिटलर जो मांग रहा है उसे दे देते हैं तो शांत बैठे रहेगा। वॉर नहीं होगी। इसी रीज़न से सेप्टेम्बर 1938 में एक यूनीक एग्रीमेंट साइन करी जाती है।(“The Settlement of czechoslovakian problem, which has now been achieved,इसके तहत ये जो sudetenland का रीज़न था ये जर्मनी को दे दिया जाए। लेकिन दूसरी तरफ से हिटलर प्रॉमिस करे की कोई वॉर नहीं होगी। हिटलर, खुशी, खुशी, चेकोस्लोवाकिया के इस टुकड़े को अपने पास ले लेता है, लेकिन 1 साल भी नहीं लगता। इस यूनिक एग्रीमेंट को तोड़ने में। मार्च 1939 हिटलर अपनी आर्मी को ले जाकर बचे हुए चेकोस्लोवाकिया को invade करता है। पहली बार यहाँ पर थोड़ी लड़ाई होती है, लेकिन बड़ी ही आसानी से जर्मन आर्मी इसे जीत जाती है और देश को दो में बाट दिया जाता है। एक जर्मन टेरिटरी में इन्क्लूड कर लिया जाता है। एक हिस्सा देश का और दूसरा एक नार्ज़ी क्लाइंट स्टेट बनाई जाती एक पपिट सरकार बनाई जाती है। स्लोवाक रिपब्लिक के नाम से ब्रिटिश प्राइम मिनिस्टर चेम्बर्लीन को बहुत क्रिटिसिजम झेलना पड़ता है। इसकी वजह से विंस्टन चर्चिल ने बड़े फेमस ली कहा था इस पॉइंट ऑफ टाइम पर “you were given the choice between war and dishonor. you chose dishonor and you will have war.” हिटलर की नजर अब अगले देश पर पड़ती है, जो की है पोलैंड का देश। पोलैंड पर कब्जा जमाने के लिए हिटलर बड़ी चालाकी से सोवियत यूनियन के साथ एक non aggression pact साइन करता है। सन 1939 में ऊपर ऊपर से देखकर लगेगा कि हिटलर तो सोवियत यूनियनऔर कॉम्बिनेश से नफरत करता था। ये कैसे कर लिया इसके पीछे सिर्फ कारण था पोलैंडको invade करना सोवियत यूनियन भी पोलैंड का हिस्सा चाहता था तो इस सिचुएशन में दोनों देशों के इन्ट्रेस्ट एक दूसरे से मिलते थे। पहली सितंबर 1939 करीब 10,00,000 जर्मन ट्रूप्स पोलैंड की तरफ चलने लगते हैं। ये प्लैन कर रहे हैं कि नॉर्थ और साउथ दोनों से हमला किया जाए।इस समय पर बाकी देश देखकर हैरान रह जाते हैं। यूके और फ्रांस को लगता है ये तो अब हद पार हो रही है। अगर इसी तरीके से हिटलर एक के बाद एक देश पर कब्जा करता गया तो अगला नम्बर हमारा भी आएगा। दुनिया का क्या होगा? हम ऑटो टोलेरेट नहीं कर सकते क्योंकि एक अल्टीमेटम देता है हिटलर को पोलैंड पर इन्वेशन किया तो यहाँ पर हम वो डिक्लेर कर देंगे। जर्मनी के अगेंस्ट हिटलर इस अल्टीमेटम को इग्नोर कर देता है, जिसके चलते यूके ऑफिशियली डिक्लेयर कर देता है। जर्मनी के अगेन्स्ट वॉर इसके बाद फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, साउथ अफ्रीका और कनाडा भी वॉर डिक्लेर कर देते हैं जर्मनी पर यूके के प्रधानमंत्री ने भी नेवरचेम्बरलेन अनाउंसमेंट में ब्रॉडकास्ट करते हैं। रेडियो पर लेकिन ये जो पॉइंट ऑफ टाइम था, दोस्त यहाँ पर वर्ल्ड वॉर टू एक्चुअली में शुरू नहीं हुई थी। इस पीरियड को फोनी वॉर( phoney war ) करके पुकारा जाता है फोनी वॉर मतलब ऐसे ही झूठ मूठ की वॉर कहने के लिए इन सारे देशों ने जर्मनी पर वॉर डिक्लेर कर दी थी।लेकिन इनमें से किसी भी देश ने पोलैंड को मिलिट्री सपोर्ट नहीं दिया और पोलैंड की अपनी आर्मी, बहुत ही ओल्ड फैशन थी ये अभी भी घोड़ों का इस्तेमाल करते थे। अपनी आर्मी में जर्मनी की मिलिट्री स्ट्रैटेजीज के सामने ये बिलकुल भी नही टिक पाए न ही ब्रिटेन न ही फ़्रांस इन्हे बचाने आ पाए
जर्मनी जवानो को ड्रग्स क्यों देती थी?(Why did Germany give drugs to the soldiers?)
करीब 13,00,000 लोग पोलैंड की तरफ से मोबलाइज हुए थे, लेकिन एक हफ्ता भी नहीं लगा। जर्मन आर्मी को इन्हें हराने में 8 सितंबर 1939 जर्मन ट्रुप्स पोलैंड पर कब्जा जमा देते हैं। यहाँ मेन्शन करना बनता है दोस्तों हिटलर की रिवोल्यूशनरी वॉर्फेर स्ट्रैटिजी के बारे में जिसे ब्लिट्ज़किरग स्ट्रैटर्जी कहा जाता था। इसकी मदद से हिटलर ने काफी देशों को सक्सेस्स्फुल्लीीं invaded किया। ये एक ऐसी मिलिट्री स्ट्रैटिजी थी जिसमें स्पीड और स्ट्रेंथ पर फोकस किया जाता था इतनी तेज़ी से हम दूसरों के देश में इंवेंट करेंगे। टैंकों का इस्तेमाल करके ये दूसरों को मौका ही नहीं मिल पाएगा सोचने का फिर ऊपर से हमारी एयर फोर्स आएगी, जिसे लूफ़्टवाफे़ कहा जाता था पर इन्वेशन जो है वो एक लाइटिंग स्पीड से होगा। ब्लिट्ज शब्द का मतलब जर्मन में लाइटिंग होता है। हिटलर का फोकस था छोटी से छोटी वॉर लड़ी जाए ऐसी वॉर लड़े वो जो जल्दी से जल्दी खत्म हो जाए। एक हफ्ता भी ना लगे। इस ब्लिट्ज स्क्रीन को मेनटेन करने के लिए जर्मन सोल्जर्स को ड्रग्स भी दिए जाते थे। सही सुना आपने पर्वितिन नाम का एक ड्रग बड़ा कॉमन था, जिसे आज के दिन हम क्रिस्टल मैथ नाम से जानते है ड्रग को जब लिया जाएगा तो आप की जो थकान होती है वो दूर हो जाती है। रात को आपको सोने की जरूरत नहीं, आपकी भूख प्यास कम हो जाती है, दर्द कम लगने लगता है और एक अजीब सा कॉन्फिडेन्स आ जाता है। आपके अंदर ऐसे ड्रग्स सोल्जर को देना बहुत ही एडवांटेज मिला। हालांकि उनकी लॉन्ग टर्म हेल्थ के लिए बहुत ही हानिकारक होगा।लेकिन शॉर्ट टर्म में इस लड़ाई को जीतने के लिए बहुत यूज़फुल दूसरी तरफ के सोल्जर्स रात को सोने में अपना टाइम वेस्ट करेंगे, लेकिन जर्मन सोल्जर्स दिन रात दिन रात करके दो 3 दिन में ही काम निपटा सकते दूसरी तरफ से सोवियत यूनियन भी इंवेंट करता है। हार के बाद पोलैंड का दो में पार्टिशन कर दिया जाता है। आधा हिस्सा नार्ज़ी जर्मनी के पास गया, बाकी आधा सोवियत के पास सोवियत अपना लॉजिक देता है कि रशियन रिवोल्यूशन से पहले ये एरिया जो था, वो एक्चुअली में सोवियत का ही था। इसलिए वो उसे डिज़र्व करते हैं। लेकिन सोवियत के हिसाब से एक और देश था। जो 1917 से पहले रशियन एम्पायर का हिस्सा था। यह देश था फिनलेंड स्टालिन को डर था कि जर्मनी अब फिनलेंड को इंवेंट करेगा और स्टैलिन हिटलर पर इतना ट्रस्ट नहीं करता था। सबसे बड़ी प्रॉब्लम इस चीज़ में ये होती कि लेनिनग्राद शहर जहाँ स्टालिन रहता था। वो सिर्फ़ 50 किलोमीटर दूर था। फिनिश बॉर्डर से अगर फिनलेंड को एक्चुअली नार्ज़ी जर्मनी के द्वारा ऑक्यूपाई कर लिया जाता तो बहुत पास आ जाते स्टैलिन के घर के। इसीलिए इससे पहले वेट किया जाए कि हिटलर आकर फ़िनलैंड पर कब्जा जमाया अपना सोवियत यूनियन फिनलेंड हो कहता है की मुझे अपनी टेरिटरी दे दो। फिनलेंड ऑब्वियस्ली मना कर देता है और सोवियत फिर मिलिट्री एक्शन लॉन्च करता है। फिनलेंड के अगेन्स्ट नवंबर 1939 सोवियत के लीडर जोसफ स्टालिन की एग्ज़ैक्ट्ली क्या सोच रही थी यहां पर क्या उनकी विचारधारा थी ये वाली लड़ाई की बड़ी इनबैलेंस लड़ाई थी सोवियत यूनियन की आर्मी कहीं ज्यादा बड़ी थी। फ़िनलैंड के मिक़बले, लेकिन दो महीने से ज्यादा तक ये लड़ाई चलती है और सोवियत ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाता फाइनली मार्च 1940 मैं यह लड़ाई खत्म होती है और एक मॉस्कोव पीस ट्रीटी साइन करी जाती है जिसके तहत फिनलेंड 11% अपनी जमीन सोवियत यूनियन को दे देता है अपनी तरफ इस बीच हिटलर की नजर एक्चुअली में फिनलेंड पर नहीं।बल्कि नॉर्वे और डेन्मार्क पर थी। एप्रिल 1940 में हिटलर अपने प्लैन्स प्रिपेर करता है। ये कैसे नॉर्वे और डेन्मार्क को कंट्रोल में लिया जाएगा? 9 एप्रिल 1940 हिटलर अपनी ब्लिट्ज़क्रीग स्ट्रैटिजी का इस्तेमाल करता है। नॉर्वे और डेन्मार्क के देश में एम्बेड करने के लिए ये लड़ाई भी ज्यादा दिन नहीं चलती। दोनों बहुत छोटे से देश है।कहाँ से कंप्लीट कर पाएंगे जर्मन आर्मी के आगे नार्वेजियन सरकार अपनी जान बचाकर भाग निकलती है। लंदन की ओर और लंदन में जाकर एक गवर्नमेंट इन एक्जाइल बनाई जाती। हिटलर नार्वे मैं एक पप्पेट प्रो नाज़ी सरकार खड़ी कर देता है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री नेविले चेम्बरलिन अपने फेल्यर को स्वीकार करते हैं, फेल्यर की वो अपने आस पास के इतने सारे देशों को बचा नहीं पाए।नाज़ी invasion से इसी के चलते 10 मई 1940 को वो अपना इस्तीफा दे देते हैं। प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने की रिस्पॉन्सिबिलिटी अब मिलती हैं।इन फेमस विंस्टन चर्चिल को सेम दिन 10 मई को हिटलर एक हमला लॉन्च करता है फ्रांस बेल्जियम नीदरलैंड और लक्जमबर्ग के देशों के खिलाफ़ ये एक ऑल आउट वॉर का ऐलान था सबको दिख रहा था कि हिटलर अब रुकने वाला नहीं है
द्वितीय विश्व युद्ध में कौन जीता और कौन हारा
बेल्जियम और लक्जमबर्ग के बॉर्डर पर इलीट फोर्स खड़ी है। इन देशों को बचाने के हिटलर अपने ट्रेडमार्क ब्लिट्ज़क्रीग स्ट्रैटिजी का इस्तेमाल करता है। 1000 से ज्यादा फाइटर बॉम्बर प्लेन्स जमीन पर करीब 30,00,000 लोग जर्मन आर्मी के पास थे औफेंस के लिए इस लड़ाई को कहा जाता है।बैटल ऑफ फ्रांस, जर्मनी, ट्रुप्स को तीन ग्रुप्स में डिवाइड किया जाता है। ए, बी और सी ग्रुप बी का काम था की वो नीदरलैंड से हमला बोले और फिर बेल्जियम में जाकर एलीट फोर्स के साथ लड़ें। ग्रुप सी का काम था की वो मैगी नॉट लाइन पर जाकर हमला बोले और आप पूछोगे ग्रुप ए का क्या प्लान था ग्रुप ए ऐक्चुअली में मास्टर प्लैन था, ग्रुप सी का जो हमला था, मैग्नेट लाइन पर।वो सिर्फ एक डिस्ट्रैक्शन था ताकि ग्रुप ये छुपके से अपना मास्टर प्लान कर सकें। फ्रांस के अंदर एंटर करना आर्डिनेंस फॉरेस्ट के जरिये यह फॉरेस्ट एक बड़ा जंगल था, जिसे फ्रांस के मिलिट्री एक्सपर्ट्स मानते थे कि एक बड़ी फोर्टेस की तरह है। जर्मन आर्मी कभी भी इस जंगल के थ्रू नहीं आएगी क्योंकि आना बहुत मुश्किल होगा। उन्होंने बिल्कुल भी एक्सपेक्ट नहीं किया था कि जर्मन आर्मी एग्ज़ैक्ट्ली इसी फॉरेस्ट के थ्रू आएगी।40,000 से ज्यादा मिलिट्री व्हीकल्स का इस्तेमाल करके ग्रुप ए इस फॉरेस्ट के थ्रू घुसता है। 15 मई 1940 को ये सिडान को कैप्चर कर लेते हैं और और नॉर्थ में ट्रैवल करते हैं, जो ब्रिटिश आर्मी और फ़्रेंच आर्मी के सोल्जर्स ऐक्चुअली में बेल्जियम में लड़ रहे थे। ग्रुप बी के साथ उन्हें बड़ा झटका लगता है। देखकर की अचानक से यहाँ पर इतनी बड़ी फोर्स उनके पीछे से आ गई।इन सोल्जर्स को तीन दिशाओं से घेर लिया जाता है। नाज़ी आर्मी के द्वारा भागने का सिर्फ एक ही रास्ता बचता है समुद्र की ओर dunkirk करके पोर्ट के पास।और वही से ही ये भागने का प्लान बनाते है। dunkirk पे जो होता है ये वर्ल्ड वॉर टू की कहानी में एक ऐतिहासिक मोड़ था।बात क्या थी करीब 4,00,000 एलइडी ट्रूप्स डन कर के बीचेस पर फंसे हुए थे एलाइट शब्द का जब मैं इस्तेमाल कर रहा हूँ। इसका बेसिकली मतलब है ब्रिटिश और फ़्रेंच आर्मी, जो देश हिटलर के खिलाफ़ फाइट कर रहे थे, उनके ग्रुप को उनके कोलेशन को एलाइंस कहा जाता है। और जो लोग हिटलर के साथ फाइट कर रहे थे, उन्हें ऐक्सिस पॉवर्स कहा जाता है। तो इन्हे अलाइड सोल्डिएर्स को टाइम पर बचाना बहुत जरूरी था क्योंकि बड़ी तेजी से नार्ज़ी की आर्मी वहाँ पर आगे बढ़ रही थी। इनके पास बचने का कोई रास्ता नहीं था। समुद्र के थ्रू ही भाग सकते थे। अगर टाइम पर नहीं किया तो 4,00,000 ट्रुप्स यहाँ पर मारे जाएंगे। बहुत बड़ा झटका लगेगा। ब्रिटेन और फ्रांस को शायद वो अपने देश भी हमेशा के लिए खो दे विंस्टन चर्चिल प्लान बनाते है। इन सोल्जर्स को इवेकूएट करने का 26 मई 1940 को ऑपरेशन डायनमो लॉन्च किया जाता है। मिलिट्री हिस्टरी के इतिहास में आज तक का सबसे बड़ा इवैक्युएशन जमीन पर जर्मन आर्मी ऑलमोस्ट बीच तक पहुँच चुकी थी। ट्रुप्स पर फायर करने लग रही हैं। आसमान में जर्मन एयरफोर्स बीच पर हमला कर रही थी। वैकेशन पहला ब्रिटिश रॉयल एयर फोर्स का काउंटर अटैक, जो ब्रिटिश जहाज यहाँ बचाने आ रहे हैं। लाइट सोल्जर्स को ब्रिटिश एयरफोर्स उन्हें कवर प्रोटेक्ट करे। दूसरा इंग्लिश चैनल में मौजूद कुछ प्राइवेट फिशिंग नाँव है सिविलियन लोग हैं जो वैकेशंस में मदद करने निकल पड़ते हैं और तीसरा dunkirk’s के बीच मैं जो कहानी चल रही है, लोग अपने आप को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। एक दूसरे की मदद कर रहे हैं। 4 जून 1940 करीब 3,50,000 सोल्डिएर्स को सक्सेस्स्फुल्ली evacuated कर दिया जाता है बुरी खबर ये होती है कि ज्यादातर मिलिट्री इक्विपमेंट्स अलाइड फोर्स का खत्म हो जाता है। इसे इवैक्यूएशन कुछ दिन बाद 22 सेकंड जून 1940 फ्रांस हिटलर के सामने सरेंडर कर देता है।स्पोर्ट टाइम पर जो इटली देश था वहाँ भी एक डिक्टेटर का राज़ था। मुसोलिनि नाम से वो हिटलर के साथ एलायंस बनाता है। फ्रांस के खिलाफ़ जंग छेड़ने के लिए जो इटली और जर्मनी के रिलायंस बनती है, उसे पैक्ट ऑफ स्टील कहा जाता है। ये दोनों देश फ्रांस और ब्रिटेन के खिलाफ़ वॉर डेक्लेअरेड़ करते हैं। 10 जून को, जुलाई 1940 तक सिचुएशन कुछ ऐसी है कि हिटलर ने अपने आसपास के ऑलमोस्ट सारे देशों पर कब्जा जमा लिया ऑस्ट्रिया, पोलैंड, डेन्मार्क, नॉर्वे, बेल्जियम, लक्समबर्ग, नीदरलैंड्स, फ्रांस, यूरोप में सिर्फ तीन बड़े देश बचे हिटलर का जर्मनी, ब्रिटेन और सोवियत यूनियन जर्मनी और सोवियत यूनियन के बीच में एक पीस एग्रीमेंट है तो हिटलर को सोवियत यूनियन से डरने की कोई जरूरत नहीं है। सोवियत कभी हमला नहीं करेंगे जर्मनी पर ब्रिटेन इकलौता देश है। अब जो जर्मनी के खिलाफ़ खड़ा है। आपको पूछोगे अमेरिका का क्या अमेरिका, दोस्तों, वर्ल्ड वॉर टू में इन्वॉल्व नहीं हुआ है अमेरिका ने अपने हाथ पीछे रख रखे है क्योंकि वर्ल्ड वॉर वन में जो हुआ था, उसके बाद अमेरिका ने कहा कि मुझे कोई इंटरेस्ट नहीं है। यूरोप में जो भी होता रहे मैं अपने हाथ दूर रहूंगा। यहाँ से तो ये बात बड़ी साफ है कि अगर इस समय पर लड़ना बंद कर दिया जाए हिटलर इस वॉर को जीत चुका है इतना बड़ा ऑफर है हिटलर के पास तो फिर कैसे होता है ये कि सिचुएशन पलटती है और ब्रिटेन जर्मनी को हरा पाता है
वर्ल्ड वॉर 2 को कहानी तरह लिखा गया है जिससे आप अच्छे से समझ पाए
धन्यबाद दोस्तों