what is pluto - प्लूटो क्या है
प्लूटो बहुत लंबे समय से हमारे सौर मंडल का 9वा ग्रह माना जाता था लेकिन अंर्तराष्ट्रिय खगोल संगठन (IAU) ने इसे 24 अगस्त 2006 ग्रहो के वर्ग से निकल दिया और इसे बौना ग्रह(Dwarf Planet) की श्रेणी मैं रखा गया
![Why Pluto is Not a Planet?](https://iamcrazyboy.com/wp-content/uploads/2023/12/Screenshot-2023-12-19-135436-1024x690.png)
nasa releases pluto image
प्लूटो के नए हाई डेफिनिशन इमेजेज आ चुके हैं जिन्होंने कुछ ऐसे खुलासे किए है जिसे देखकर नासा वाले कंप्लीट्ली शौक ज़रा इस इमेज को देखिये,
![pluto planet](https://iamcrazyboy.com/wp-content/uploads/2023/12/Screenshot-2023-12-19-140752-768x427.png)
नासा के न्यू होराइजन स्पेस प्रोब ने प्लूटो की बर्फीली सतह पर कैप्चर किए हैं।
प्लूटो का वातावरण - Pluto atmosphere
![pluto kya hai](https://iamcrazyboy.com/wp-content/uploads/2024/01/Screenshot-2024-01-04-113454-768x450.png)
आप यहाँ पर देख सकते हो ये हूबहू क्रैप होल से मेल खाते है and you know what’s the weird part? नासा के अनुसार प्लूटो के जिस रीज़न में ये स्ट्रक्चर्स दिखे हैं एग्ज़ैक्ट्ली।उसी जगह पर प्लूटो का ऑलमोस्ट सारा लिक्विड पानी बर्फ़ के नीचे छुपा हुआ है सो क्या प्लूटो की कड़कती ठंड में कोई केकड़ों जैसी मजबूत कवच वाली प्रजाति पनप रही है? नासा वालों ने ना अपने न्यू होराइजंस मिशन के तहत प्लूटो के कई ऐसे हाई डेफिनेशन फोटो खींचें है जो कुछ इसी तरह इशारा कर रहे है ज़रा इन फोटो को देखो ये प्लूटो के वातावरण की तस्वीरे है जो नासा के अनुसार बिना किसी वॉलकनिक इरेप्शन के भी जहरीली गैस से भरती जा रही है यहाँ पर भी दो सेंचुरीज़ में इंसानी गतिविधियों ने तेजी से वातावरण को जहरीली गैस से भर दिया, सो ऑल इन ऑल।प्लूटो दूर से जितना शांत हमें नजर आता है, शायद वो उतना शांत बिल्कुल नहीं है हालांकि नासा के अनुसार की कोई साधारण सा एस्ट्रोइड नहीं है।बल्कि एक प्रकार का टाइम कैप्सूल हो सकता है। गैस्ट्रो इस यूज़्वली ऐसे आकार के नहीं होते। सो आखिर प्लूटो अपने अंदर और ऐसे कितने राज़ छुपाकर बैठा है
प्लूटो के बारे में जानकारी सरल शब्दों में - information about Pluto in simple words
क्योंकि 2006 से पहले हमारे पास जो प्लूटो के सबसे क्लिअर पिक थी ना वो कुछ ऐसी दिखती थीं यानी की हम लिटरल्ली जुपिटर और सैटर्न के मून्स के बारे में प्लूटो से ज्यादा जानते थे और इसी लिए 2006 में नासा ने स्पेशल ली प्लूटो को स्टडी करने के लिए एक स्पेस प्रोब लॉन्च किया। कोल्ड इन न्यू हॉरिज़ोन्स इस प्रोब का मिशन था।बेसिकली जितना जल्दी हो सके प्लूटो के करीब पहुँचकर प्लूटो की हाई डेफिनिशन इमेजेज, नासा को भेजना और उनके जरिए प्लूटो की सतह और उसके वातावरण की पूरी कहानी पृथ्वी वासियों को बयां करना और अब अपने 9 सालों के लंबे सफर के बाद ये घड़ी फाइनली आ चुकी है। न्यू होराइजंस ने अंततः प्लूटो की पहली क्लियर तस्वीर नासा को भेजी और उस तस्वीर के मिलते ही क्लिअर नासा ने ऑब्जर्व किया कि प्लूटो की सतह पर एक बड़ा सा दिल के आकार का एक चिकना सा पठारी क्षेत्र है और स्पुट्निक प्लानम जो प्लूटो के बाकी सरफेस के मुकाबले बस अभी अभी बना है, लाइक लिटरली वो इतना रिसेंटली बना है की आप कह सकते हो हम जब बंदरों से इंसान में विकसित हो रहे थे तब साइमल्टेनीअस्ली प्लूटो पर ये दिल बन रहा था और यही वजह है नासा वाले मानते हैं कि प्लूटो बाकी के बंजर प्लैन्स के मुकाबले पृथ्वी से ज्यादा मेल खाता है क्योंकि।जैसे ही न्यू हॉरिज़ोन्स ने प्लूटो के दिल पर थोड़ा सा और ज़ूम किया और उसकी तस्वीर ली तो उन्होंने देखा कि दूर से एकदम चिकना और प्लेन दिखने वाला रीज़न असल में ऐसे बर्फीले पॉलीगॉनअल स्ट्रक्चर से भरा हुआ है जो स्ट्रक्चर्स ऐक्चूअली में वो सिंपल प्रोसेस से बने हैं जो हम अपने घर के फ्रिज में भी रेप्लिकेट कर सकते हैं। जस्ट आइडिया अगर आप अपने आइस क्रीम में पानी भर के उसे अपने फ्रीजर में 1 साल के लिए छोड़ देते हो तो आप नोटिस करोगे की 1 साल के बाद उसमें रखा आइस एकदम से गायब हो जाएगा। अब ये इसीलिए होता है क्योंकि लंबे समय के लिए फ्रिज में रखी बर्फ़ बगैर पानी बने सीधा भाप बनकर evaporates हो जाती है। जैसे साइंटिफिकली सब्लिमेशन प्रोसेस कहते हैं और यही वो प्रोसेसर है जो ब्यूट ओके, उस दिलऐसे स्ट्रक्चर्स में पास सिर्फ पॉलीगॉन और क्रैप होल्स जैसे अजीब स्ट्रक्चर्स बना रहा है। अभी सब्लिमेशन प्रोसेसर कहते है यही वो प्रोसेस है जो प्लूटो के उस दिल जैसे आकार मैं मैसिव पोलीगोनस और क्रैब होल्स जैसे अजीब आकार बना रहा है अब इस उच्च बनाने की क्रिया का एक और एक एग्जाम्पल है ड्राई आइस है ड्राई आइस जैसे ही आप बाहर निकालोगे वो लिक्विड में कन्वर्ट नहीं होता। वो सीधा गैस बन कर उड़ जाता है।अब यहाँ पर एक स्टडी के अनुसार जैसे आज से 66 मिलियन साल पहले एक बड़ा सा उल्का पिंड पृथ्वी से आकर टकराया था, उसी तरह आज से करीब 10 मिलियन साल पहले पॉसिब्ली एक बड़ा सा ऑब्जेक्ट लूटो से भी टकराया था। लेकिन क्योंकि प्लूटो सूरज से कोसों दूर स्थित है और मुख्यत: नाइट्रोजन आइस से बना हुआ है तो अनलाइक पृथ्वी जहाँ पर आज उस इंपैक्ट क्रेटर में पानी भरा हुआ है।
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प्लूटो के इंपैक्ट क्रेटर में धीरे धीरे नाइट्रोजन आइस भरना शुरू और वही नाइट्रोजन आइस जब सब्लिमेशन प्रोसेस के जरिए सीधे आइस से भाप बना तो वो भाप अपने नीचे की सतह को क्रैब होल्स पर पॉलीगॉन जैसे अजीब से शेप्स में कार्य करते हुए ऊपर उड़ गया। अगर यह थ्योरी सही है तो येस प्लूटो का ये विर्ड दिल जैसे दिखने वाला स्पुटनिम प्लानम उसमें मौजूद बियर स्ट्रक्चर्स और प्लूटो का थिंक ऐट्मस्फीर इन सभी चीजों के लिए नैचुरल चीजें जिम्मेदार है और वो है नाइट्रोजन आइस की भाप सो ऐसे में हमें केकड़ों जैसे दिखने वाले और बिहेव करने वाले एलियंस को शायद टाटा बाइ बाइ बोलना पड़ सकता हैं। सो शायद ऐसे में प्लूटो वाकई में उतना ही बंजर हैं। जितने बाकी के हमारे सोलर सिस्टम के प्लैनेट्स | कुछ चीजें बहा पर अभी भी सेंस नहीं बनाती लाइक नाइट्रोजन से बनी बर्फ़ सफेद होती है हाँ इस इमेज के बेसिस पर नासा का कहना है कि प्लूटो का मून शेरॉन ओरिजनली रेड नहीं था उसे सफेद प्लूटो ने एक लाल रंग के ढक दिया है दरअसल नासा के अनुसार जब न्यू होराइज़न प्रोव प्लूटो के थोड़ा और करीब पहुंचा
प्लूटो का सबसे खुरदरा काला धब्बा कथुलु मैक्युला - Pluto's roughest dark spot cthulhu macula
![pluto in hindi](https://iamcrazyboy.com/wp-content/uploads/2024/01/Screenshot-2024-01-04-121541-1024x529.png)
प्लूटो के एकदम क्लीन ब्राइट स्पॉट स्पुट्निक प्लैनम के बिल्कुल बगल में उसका सबसे खुरदुरा डार्क स्पॉट CTHULHU Macula नजर आया कि जब उन्होंने इस स्पॉट की केमिस्ट्री को थोड़ा डिटेल में स्टडी किया तो उन्हें इस डार्क स्पॉट में नाइट्रोजन आइस के अलावा भारी मात्रा में मीथेन एथेन जैसे हाइड्रोकार्बन्स के स्रोत भी नजर आए। सो अकॉर्डिंग टु नासा। प्लूटो अपनी बिअर्ड ऑर्बिट के चलते कुछ टाइम के लिए naptune ऑर्बिट के अंदर आकर ऑर्बिट करने लगता है तो सूरज की गर्मी ये हाइड्रोकार्बन्स को थोलिन नाम के एक रेडिश कंपाउंड में बदल देती है और प्लूटो की कमजोर ग्रैविटी की वजह से यही लाल थोलिन पहले उसकी खुद की ऐट्मस्फीर में मिक्स होकर उसे प्रदूषित करके जहरीला बनाता है और फिर बगल में घूम रहे शेरॉन पर भी जाकर डिपॉजिट हो जाता है। ये सब इसी तरफ इशारा कर रहे हैं कि प्लूटो पर जो कुछ भी हो रहा है वो सब कुछ नैचरल है ये काफी विचित्र फैक्ट है। क्या आपने कभी सुना है कि पृथ्वी पर या किसी दूसरे प्लैनेट पर ग्रैविटी असमतल है यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सांता क्रूज़ की एक लीड रिसर्चर प्रोफेसर फ्रांसिस निमो जब नासा के न्यू हराइज़न से मिले इमेजेज को स्टडी की, तब उन्हें प्लूटो के सरफेस पर कुछ ऐसे क्रैक्स और फॉल्स देखें जो बता रहे थे कि प्लूटो के स्पुट्निक प्लैनर रीज़न में ग्रैविटी अनइवन है। अब येस नॉट मैग्नेटिक फील्ड नॉट ऐट्मस्फीर।बल्कि ग्रेविटी अनइवन है। प्रोफेसर फ्रांसिस निमो के अनुसार प्लूटो का आइसी दिल एक स्पुट्निक प्लानम एक ऐसी खास जगह पर स्थित है जहाँ के मास्स में अगर 19-20 का भी फर्क हुआ तो ऑलरेडी टिल्टेड प्लूटो और भी ज्यादा टिल्ट हो सकता है क्योंकि एक ऐसी खास जगह है
जहाँ से हम अगर ऑपोजिट साइट की ओर एक इमैजिनरी लाइन ड्रॉ करें तो वो लाइव सीधा प्लूटो के मून शेरॉन से जाकर मिले। ऐसे इमैजिनरी लाइन को एस्ट्रोनॉमर्स टाइडल ऐक्सिस कहते हैं, जिसमें ज़रा से बदलाव से पूरे प्लैनेट का रोटेशन ही बदल जाता है और ये प्रोफेसर फ्रांसिस निमो ने कंप्यूटर सिमुलेशन के जरिए वेरिफाई भी किया है। उनका अनैलिसिस यह कहता है जो करेंट्ली स्लीपिंग पोजीसन मैं घूम रहा है वो ओरिजनली पृथ्वी और बाकी की तरह करीब करीब सीधा खड़ा होकर रोटेट करता था। पर फिर जब स्पुट्निक इम्पैक्ट क्रेटर में चीजें भरने लगी तब वहाँ का मास्स असमता बढ़ने की वजह से पूरा का पूरा प्लूटो स्पुटनीम प्लानम की दिशा में 120 डिग्री तक लुढ़क गया। अब कई सारी प्रीवियस थ्योरी कहती हैं कि स्पुट्निक प्लानम में भारी चीजें और कुछ भी नहीं बल्कि सिर्फ नाइट्रोजन आइस है।लेकिन प्रोफेसर निम्मो का कहना है कि नाइट्रोजन आइस अकेले इतना भारी नहीं होता की वो पूरे प्लूटो को एक तरफ झुका दें। ये सिर्फ तभी पॉसिबल हो सकता है अगर स्पुट्निक प्लानम के नाइट्रोजन आइस सतह के नीचे एक लिक्विड पानी से भरा हुआ समुन्द्र मौजूद है। और यही वजह थी कि मैंने शुरुआत में ऐसा क्यों कहा था कि प्लूटो काफी हद तक हमारे पृथ्वी की तरह ही है। इन्फैक्ट एक रीसेंट सिमुलेशन ने तो ये तक बताया कि उसके समुद्र का सबसे गहरा पॉइंट हमारे मरियाना ट्रेंच से 10 गुना ज्यादा गहरा होना चाहिए। अब ये कितना एक्युरेट है ये तो तभी ना की पता चलेगा जब नासा प्लूटो के पीछे छुपे ऐरो कॉट ऐस्टरॉइड को डिटेल में स्टडी करेगी, जो उनके अनुसार किसी टाइम कैप्सूल की तरह काम करेगा और हमें प्लूटो और हमारे सोलर सिस्टम के बनने की पूरी कहानी के बारे में बताएगा। दरअसल ऐरोकोर्ट को स्टडी करना ये पूरी स्पेस इंडस्ट्री में शायद वो इकलौता ऐसा मिशन होगा जो स्पेस प्रोब के लॉन्च होने के बाद डिसाइड हुआ था। लॉन्च से पहले नासा को पता ही नहीं था की वो एग्ज़ैक्ट्ली हैं क्या न्यू होराइजंस के लॉन्च के बाद प्लूटो के अलावा और कौन से ऑब्जेक्ट को इसको स्टडी किया जा सकता है। ये जानने के लिए जब नासा हबल स्पेस टेलिस्कोप से दूसरे ऑब्जेक्ट को ऑब्जर्व कर रही थी तब उन्हें प्लूटो के पास एक लम्बा सा feared सा ऑब्जेक्ट नजर आया और उन्होंने उसे भी लगे हाथों स्टडी करने का फैसला लिया। पर ऐरोकोर्ट तक पहुंचना इतना आसान नहीं था
The voyager
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न्यू होराइजंस ने जब 2015-16 में प्लूटो की स्टडी कंप्लीट की। तब लिटरलली उसके 3 साल बाद ही वो एरोकोर्ट तक पहुँच पाए और फिर वो उसके इमेजस निकालने शुरू किए। ये नॉर्मल ऐस्टरॉइड से काफी डिफरेंट है की ऐसा दिखाई देता है मानो किसी एलियन स्पेसशिप के दो मॉड्यूल्स हो। इसके कुछ कीय हाइलाइट्स ये है की ये दिखने में रेड कलर का है। इसकी सतह एकदम चिकनी और प्लेन है और इन सबसे ऊपर किसी ऐस्टरॉइड से कोलाइड नहीं बल्कि फ्यूज हुआ था। क्या नहीं कि इसका मतलब समझ रहे हो? हमारे सोलर सिस्टम के बाहरी किनारों पर कोलेशन जैसे सिंपल प्रोसेसेस भी उस तरह से नहीं होते जैसे हम मार्स और जुपिटर के बीच मौजूद ऐस्टरॉइडएंड बेल्ट्स मैं देखते है कि हम अपने खुद के सोलर सिस्टम के बारे में कितना कम जानते हैं? और ये यही वजह है कि नासा एरोकोट को सोलर सिस्टम का एक टाइम कैप्सूल मानती है जो हमें अपने सोलर सिस्टम के इतिहास के बारे में बहुत कुछ बता सकता है। अब नासा इन इतिहास के पन्नों को कैसे और कब खोलता है ये तो समय ही बताएगा। फिलहाल के लिए न्यू होराइज़नस इमेज से प्लूटो जिसका नेचर अब तक अननोन था उसके बारे में साइंटिस्टों को काफी इंट्रेस्टिंग जानकारी दे चुका है और अब तक की हमारी हिस्टरी में न्यू होराइजंस प्लूटो के करीब जाने वाला पहला और आखिरी स्पेस स्क्रैप साबित हुआ है। इसके अलावा जो दूसरा ऐसा मिशन लॉन्च किया था।वो वायेजर था जो प्लूटो को बस दूर से ही बाय-बाय करते हुए निकला था